वीडियो जानकारी:
शब्दयोग सत्संग
१६ नवम्बर २०१४
अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा
दोहा:
कबीर रण में आइ के, पीछे रहे न सूर|
साईं के सन्मुख रहे, जूझे सदा हुजूर||
~ गुरु कबीर
प्रसंग:
"जूझे सदा हुजूर" से क्या आशय है?
रण का क्या अर्थ है?
शांति कहाँ है?
संगीत: मिलिंद दाते